Thursday, February 4, 2010

फिर हिन्दुस्तानी कौन ?

भारतीय संस्कृति की माला गले में डाले शिव सेना महाराष्ट्र को केवल महाराष्ट्र के लोगों का बता रहे हैं। बाल ठाकरे और राज ठाकरे देश की अखण्डता पर प्रशन चिन्ह लगा रहे हैं । मुंबई से अगर तमाम दूसरे प्रदेशों के लोग बाहर चले जाएं तो मुंबई में न कोइ बिजनेस रहेगा न आजीविका के साधन रहेंगे । महाराष्ट्र जी रहा है मुम्बई के बल बूते पर ! मुम्बई की शान और वैभव है देश विदेशों से आये हजारों लाखों लोगों की मेहनत और उनके द्वारा लगाई गयी पूंजी से । फ़िल्मी दुनिया की रंगीनी से ! फिर सचीन जैसे अन्तर राष्ट्रीय स्तर पर ख्याती प्राप्त करने वाले यह कहें की मैं महाराष्ट्रीयन हूँ पर पहले हिन्दुस्तानी हूँ तो बाल ठाकरे और राज ठाकरे के पेट में क्यों दर्द होने लगता है । जिनके नाम की पार्टी बनाकर ये दोनों अपनी पहचान बना रहे हैं वे वीर शिवाजी भी अपने को हिन्दुस्तानी कहते थे ! अगर पूरा देश इसी तरह प्रदेशों में बंट कर बिहारी, मद्रासी, उड़ीया, आसामी, गुजराती, मराठी, पंजाबी, राजस्थानी, हिमांचली, उत्तराखंडी बन कर बिखर जाएंगे तो फिर अपने को कौन हिन्दुस्तानी कहेगा । जैसे पाकिस्तान का पाकिस्तानी, ईरान का ईरानी, अमेरिका का अमेरिकेन, ब्रिटेन का ब्रिटिश, रूस का रसियन, चीन के चाईनीज होते हैं, वैसे ही हिन्दुस्तान का हिन्दुस्तानी है । ये अपने को शिव सैनिक कहने वाले, केवल मराठी कहने वाले कितने लोग हैं शायद १५ % और ये १५% बाकी के ८५ % पर दबाव बनाए हुए हैं ! क़ानून भी चुप चाप तमाशबीन बन कर देख रहा है ! ये केवल असमर्थ और असहायों पर जुल्म कर सकते हैं ! कभी यह सूनने में नहीं आया है की शिव सैनिकों ने बाल ठाकरे व राज ठाकरे के नेत्रित्व में किसी आतंकवादी को पकड़ा है या मार गिराया है । भाई नाम के अंडर वर्ड के लोगों के अत्याचारों से आम लोगों की रक्षा की है । २६/११ को सारा मुम्बई शहर आतंकवादियों की गोलियों से गूंज रहा था, सैकड़ों लोग मारे गए और ये सारे मिट्टी के शेर विलों में छिपे हुए थे । जब इन्हें यकीन हो गया की सारे आतंकवादी या तो मारे गए या पकडे गए हैं तब ये बाहर निकले थे । प्रदेशों के रहते हुए भारत देश के बनों तभी देश की तरकी होगी ।

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