Tuesday, August 3, 2010

मेरी कहानी (पन्द्रहवां भाग)

केंद्र में जनता पार्टी का राज आ गया ! जनता का भरोषा, जनता पार्टी की सरकार से बड़ी बड़ी अपेक्षाएं ! अटल बाजपेई विदेश मंत्री बने और अडवानी जी को सूचना प्रसार मंत्रालय सौंपा गया ! राज नारायण जिसने श्रीमती इन्द्रा गांधी जी को हराया था स्वास्थ्य मंत्री बनाए गए ! वे अपने मंत्रालय साईकिल से जाते थे ! लेकिन चरणसिंह जी को तो जल्दी से जल्दी प्रधान मंत्री की कुर्सी चाहिए थी ! वे मोरारजी के मातहत गृह मंत्री तो बन गए लेकिन उनको यह मंत्रालय राश नहीं आया ! उन्होंने अपनी पार्टी क्रांति दल को जनता पार्टी से अलग कर दिया ! उधर जन संघ भी भारतीय जनता पार्टी के नाम से अलग हो गयी ! इन्द्रा गांधी को चरणसिंह ने एक दिन के लिए जेल में बंद किया था, इन्द्रा जी को इस अपमान का बदला लेना था ! उन्होंने चरणसिंह को आश्वासन दिया की अगर वे मोरार देसाई की सरकार से अलग हट जाते हैं तो इन्द्रा कांग्रेस उन्हें नयी सरकार बनाने में मदद करेगी ! मोरार जी देसाई की सरकार अल्प मत में आ गयी, राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने चरणसिंह को सरकार बनाने का न्योता दिया और एक हफ्ते के अन्दर संसद में अपना बहुमत सिद्ध करने का आदेश दिया ! इन्द्रा जी ने चरणसिंह सरकार को सपोर्ट देने से इनकार कर दिया ! चरणसिंह ने एक दिन भी प्रधान मंत्री की हैसियत से संसद में कदम नहीं रखा था ! संसद में बहुमत न जुटा पाने के कारण श्री चरणसिंह जी ने राष्ट्रपति को संसद भंग करने की सलाह दे दी और संसद भंग कर दी गयी !
राष्ट्रपति ने चरणसिंह जी को नयी सरकार के गठन तक कार्य वाहक प्रधान मंत्री की हैसियत से सरकार चलाने का आदेश दिया ! इधर १९८० तक कांग्रेस में संजय गांधी, इन्द्रागांधी का दूसरा लड़का काफी उंचाइयां नाप चुका था ! उसने दिल्ली को नया रूप देने का स्वप्न पाल रखा था ! विपक्ष भी मानने लगे थे की संजय गांधी काँग्रेस का एक चमकता हुआ हीरा है ! उसने सबसे पहले सरकार का ध्यान बिगड़ते हुए प्रयावरण, पेड़ पौधे लगाना, फॅमिली प्लानिंग और प्रशासन को चुस्त दुरुस्त करने के लिए अनुशासन की ओर दिलाया ! अभी तक किसी नेता का ध्यान इन मुद्दों की तरफ नहीं गया था ! सन १९८० में संसद का चुनाव हुआ और संजय गांघी का करिश्मा कांग्रेस को भारी मतों से जीता गया ! कांग्रेस ३ साल के अंतराल के बाद फिर सता पर काविज हो गयी ! जनता, जनता पार्टी के सता लोलुप नेताओं से तंग आ गयी थी ! कइयों की तो जमानतें भी जब्त हो गयी थी ! लेकिन अचानक बिजली चमकी और एक चमकता सितारा संजय गांधी एक एयर क्रेश में २३ जून १९८० को मारे गए ! सितारा जमीन का फिर सितारों से जा मिला दूर नील गगन में जाकर !
इधर मैं बच्चों को दिल्ली से बीकानेर ले आया ! बच्चों को केन्द्रीय विद्यालय में दाखिला मिल गया ! मुझे यूनिट में ९ साल हो चुके थे, पोस्टिंग फिर रिकार्ड्स दिल्ली में हो गयी ! यूनिट के कमान अधिकारी पालीवाल साहेब भी पोस्टिंग चले गए थे और ले.कर्नल पुनिया कमांडिंग आफिसर बन कर यूनिट में आ गए ! पहली जनवरी सन १९७९ ई० को मैं दिल्ली आगया ! उन दिनों सेंटर कमांडेंट कर्नल हरभजन सिंह थे ! वरिष्ट रिकार्ड्स अधिकारी
मेजर मोती सिंह भी उन्हीं दिनों पोस्ट होकर आए थे ! इससे पहले भी हम दोनों साथ रह चुके थे ! जून १९८० में मैं सूबेदार बन गया था ! बच्चे भी दिल्ली शिफ्ट हो गए थे ! दिल्ली में इस समय तक काफी बदलाव आ चुका था ! सारे बच्चों को केन्द्रीय विद्यालय में दाखिला मिल गया था !
सन १९७९ ई० में मैंने अपनी भतीजी सुशीला की शादी शर निवासी श्रीपाल सिंह नेगी से कर दी !
इन दिनों मेरी तबियत कुछ खराब रहने लगी थी, कब्जियत, सर दर्द तथा शरीर थका थका सा रहने लगा था ! मैंने कभी योगा के बारे में पढ़ा था ! लगन लग गयी योगा सिखने की ! एक दिन तलाश करते करते मैं गोल डाकखाने के पास अशोक रोड नंबर वन पर पहुँच गया ! वहां बोर्ड लगा हुआ था " विश्वायातन योगाश्रम " ! मुझे लगा मेरी मंजिल मिल गयी ! मैं अपने एक दोस्त राजकुमार के साथ गेट के अन्दर स्वागत कक्ष में चला गया ! वहां एक लड़की रिसेप्शन पर बैठी थी ! हमने उस से कहा की हम योगा सिखाना चाहते हैं ! उसने मुझे एक छोटी सी पुस्तिका दी जिसमें योग के बारे में हल्की सी जानकारी दी गयी थी ! इस पुस्तिका की कीमत थी मात्र .७५ पैसे, साथ ही इस पुस्तक के जरिए मुझे इस योग संस्था की सदस्यता भी मिल गयी थी ! जब मैं बड़े हाल में गया वहां इस योग संस्थान के योग गुरु " धीरेन्द्र ब्रह्मचारी जी " विराजमान थे ! चारों तरफ शिक्षक शिक्षककाएं बैठी थी और बीच में बैठे थे योग गुरु श्री धीरेन्द्र ब्रह्मचारी जी, तेजस्वी चेहरा दमकता हुआ, बिलकुल काले केश जैसे सितारों के मध्य चाँद ! मुझे लगा की मैं सही जगह पर पहुँच गया हूँ ! वहां हर रोज दिन में दो बार योगा की क्लास चलती थी, सुबह ६ बजे से ८ तक और शाम को ३ से ५ बजे तक ! सुबह आना तो मुमकिन नहीं था लेकिन मैंने शाम की क्लास ३ से ५ वाली ज्वाइन करली ! रविवार को मैं सुबह ही क्लास में चला जाता था ! वहा, जल नीति, प्रशालन विधि, आँख कान और गले की सफाई की तकनीक सीखी ! जैसे जैसे दिन निकलते गए शरीर के अन्दर एक नयापन सा महसूस होने लगा ! ४५ दिन कभी सुबह कभी शाम, इस योग संस्थान से योगिक क्रियाएं प्राणायाम की शिक्षा ग्रहण करके काफी हद तक अपने को रोगमुक्त करने में मैं कामयाब हुआ ! इन दिनों भारतीय सेना के स्थल सेनाध्यक्ष थे जनरल ओ पी मलहोत्रा ! हर रेजिमेंट की एक एक बटालियनें और बधाई जा रही थी, राजपूताना राईफल्स की भी २० वीं बटालियन खड़ी की गयी १ जनवरी १९८१ को ! मुझे इस नयी बटालियन में पोस्ट कर दिया गया !

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