Saturday, August 7, 2010

मेरी कहानी (सत्रहवां भाग )

ये ब्ल्यू स्टार बड़ी दुखद घटना थी ! यहाँ हम अपने लोगों से लड़ रहे थे ! अगर सैनिक मर रहे थे वे भी हिन्दुस्तानी सेना के और स्वर्ण मंदिर के अन्दर बैठे आतंकवादी मर रहे थे वे भी हिन्दुस्तानी ! बड़े दुखी मन से हमें आतंकियों को पकड़ कर पुलिस के हवाले करना पड़ता था ! खैर , जून तक हमारी यूनिट चंडीगढ़ से फैजाबाद वापिस आ गयी थी ! १९८३ का साल भारतीय क्रिकेट के लिए एक यादगार साल है इसी साल भारतीय क्रिकेट टीम ने कपिलदेव की कप्तानी में विश्व वर्ड कप जीता था ! फैज़ाबाद की कुछ मधुर स्मृतियाँ अभी भी दिल के एक कोने में अंगडाइयां लेने लगती है, जैसे वहां के बन्दर ! अयोध्या जी भगवान राम की जन्म भूमि, जहां 'राम' वहीं हनुमान जी, जहां हनुमान जी वहां उनकी सेना भी होगी ! कहीं कहीं तो ये कलजुगी बन्दर भारी मुसीबत खडी कर देते हैं ! एक दिन हमारी यूनिट का एक सूबेदार जगमालसिंह रेलवे स्टेशन पर जवानों से मालगाड़ी के डिब्बों से ऑर्डिनेंस डिपो से आया हुआ सामान उतरवा रहा था, की अचानक एक बन्दर पेड़ से छलांग मार कर सूबेदार साहेब के कंधे में बैठ गया, दोनों हाथों से उनका चेहरा अपनी और घुमाया और गाल बुरी तरह से काट दिया ! यह सब कुछ इतना जल्दी हो गया की स्टेशन पर खड़े लोग भी नहीं समझ पाए की यह अचानक क्या हो गया ! बन्दर का भी जहर प्राण घातक होता है, सूबेदार जी को अस्पाल ले गए, इंजेक्शन लगे तब कहीं उन्हें चैन आया ! फैजाबाद में मेरे क्वाटर के पीछे कुछ बागवानी करने के लिए जमीन पडी थी, मैंने उसमें मकई बो दी ! जमीन उपजाऊ थी, मकई जल्दी निकल आई !
बरसात का मौसम, मकई में दाना निकल आया था और हम किसी खास अवसर का इंतज़ार कर रहे थे, जब हम अपनी खेती की मकई के रूप में पहली फसल घर में लाते ! और एक दिन सुबह सबेरे, रिम झिम रिम झिम वारीष पड़ रही थी उधर बगीचे में एक भारी भरकम बन्दर आराम से बैठ कर मकई तोड़ तोड़ कर स्वाद ले ले कर खा रहा था ! मैंने खिड़की से झाँक कर देखा, मेरे होश उड़ गए, इतना भारी बन्दर ! हिम्मत बांधी, एक डंडा हाथ में लिया, बन्दर के ठीक पीछे जाकर जोर का डंडा उसकी पीठ पर दे मारा ! सही में वह मकई खाने में इतना तल्लीन था की उसने मेरे कदमों की आहट नहीं सुनी ! अचानक के इस हमले से वह सक पका गया और वहीं से एक ऊंची छलांग मार कर एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर कूदता फांदता नज़रों से ओझल हो गया और दुबारा नहीं आया ! यहाँ यूनिट का तीन साल पीस टाईम पूरा होने जा रहा था, यूनिट को कारगिल जाने का आदेश हो गया !
उर्वशी ने १० वीं पास कर लिया था और ११ वीं क्लास फैजाबाद में खुला नहीं था, मुझे उर्वशी को दिल्ली कंटोन्मेंट केन्द्रीय विद्यालय में भरती कराना पड़ा ! यहाँ मेरी लड़की दो साल परिवार से दूर विद्यालय होस्टल में रही !
कारगिल की ओर
सितंबर १९८४ ई० को यूनिट कारगिल के लिए रवाना हो गयी ! बच्चों को फैजाबाद में ही छोड़ आया था ! कश्मीर जाने का यह तीसरा चांस था लेकिन श्रीनगर पहली बार जा रहा था ! जम्मू तक रेल का सफ़र था, फिर जम्मू से आगे के लिए फ़ौजी कान्वाई तैयार खडी थी ! एक दिन सामान को रेल से ट्रकों में बदली करने में लगा और अगले दिन उधमपुर होते हुए श्री नगर के लिए यूनिट जम्मू से रवाना हुयी ! फूलों की घाटी, जंगल, उठते हुए पहाड़, पहाड़ों के ऊपर बीछी हुई बर्फ की सफ़ेद चद्दर, चिन्नार, चीड, देवदार के आसमान को छूते हुए पेड़, जवाहर सुरंग पार करते यूनिट श्रीनगर पहुँची ! एक दिन श्रीनगर में रुकने के बाद दराज, एशिया का सबसे ठंडा स्थान पहुंचे ! यहाँ पर दो नदियाँ मिलती हैं और हवा की ठंडी लहरे चलती हैं ! एक रात दराज में रहे और अगले दिन कारगिल यूनिट को अलॉट किये हुए जगह पर पहुंचे ! जगह को बटालियन की अग्रिम पार्टी ने जाने वाली यूनिट से पहले ही ले लिया था ! हमारी यूनिट का बेस कारगिल नदी के किनारे एक समतल स्थान पर था, इसके ऊपर एक नहर है जो कारगिल नदी से ही निकाली गयी है ! बनस्पती से रहीत बिलकुल रुखा, हवा का दबाव बहुत कम ! शुरू शुरू में १५ बीस दिन तक तो शांस लेने में परेशानी होती है ! फिर नार्मल ! कम्पनियों को सामने की ऊंची ऊंची बर्फ से ढकी पहाड़ियों में मोर्चे बनाकर रहना पड़ता है ! जहां पर बेस है यहाँ भी नवम्बर से और मई तक बर्फ रहेगी ! पानी के चश्मे सब जम जाते हैं ! नदी नाले भी बर्फ से जम जाते हैं ! यहाँ के स्थानीय लोग नहाते बहुत कम हैं, सर्दियों के लिए, इधन और खाने की सामग्री को जमा करके रखना पड़ता है ! मई के आखीर में बर्फ पिघलने के बाद ये स्थानीय लोग खेतों में गेहूं बो देते है जो अगस्त सितम्बर तक कटने के लिए तैयार हो जाती है ! बर्फ पड़ने से पहले तक ये खेतों में कुछ सब्जियां भी उगा लेते हैं ! ठण्ड बहुत होने से बच्चे कम हैं ! जवानों को हर ६ महीने के बाद छुट्टी भेजा जाता है ताकी उन्हें ठंडी से होने वाली बीमारियों से बचाया जा सके ! यहाँ के कुत्ते बड़े भेडिये की तरह भयानक लगते हैं ! चूहे भी मोटे तकड़े खुले आम कीचनों और गोदामों में घुमते फिरते रहते हैं ! बिल्ली बहुत कम हैं ! शुरू शुरू में तो ब्रेक फास्ट की पुरियां ये हमारे हाथ से छीन कर ले गए थे ! बारिकें बासा सब लकड़ी के बने हैं ! यूनिट बेस के साथ ही हेलीपैड ग्राउंड है ! सामने कारगिल का मार्केट पड़ता है ! मई-जून के महीने में बर्फ पिघलनी शुरू हो जाती है नदी नालों में बाढ़ आजाती है ! यहाँ से लेह के लिए सीधे रोड है ! लेह लदाख करीब ३००-३५० किलोमीटर पड़ता है कारगिल से !

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