३१ अक्टूबर १९८४ ई० में हम लोग अपने ऑफिस में डाक के ढेर को शॉर्ट ऑउट करने में जुटे थे, कि अचानक एक जवान भागता हुआ ऑफिस में आया और कहने लगा , "साहेब, एक बड़ी दुःख:दाई खबर है, दिल्ली में प्रधान मंत्री श्रीमती इन्द्रा गांधी को उनके ही गार्ड ने गोली मार दी है ! हालत चिंता जनक है, बचना मुश्किल है !" और कुछ देर के बाद
टी वी न्यूज ने फाईनल खबर में बता दिया की श्रीमती इन्द्रा जी नहीं रही ! अचानक एक मुर्दनी सी छा गयी ! फिर गुंडे और लफंगों कि बन आई, निर्दोष और असमर्थ लोगों को बेरहमी से मारा जाने लगा ! वे सिख जो मजदूरी करके अपने परिवार को पालते थे, जो छोटे मोटे दुकानदार थे या ट्रक ड्रावर थे पकड़ पकड़ के जिन्दे जलाए जाने लगे ! जो हिन्दू सस्थाएं इनको बचाने आगे आरही थी, इन मुवाली गुंडों ने उन्हें भी नहीं छोड़ा ! एक बार तो दिल्ली की सडकों पर मृत्यु का तांडव नृत्य होने लगा था ! आनन् फानन में राजीव गांधी को प्रधान मंत्री बनाया गया और एक आदेश के तहत इस हत्याकांड को बंद कराया गया ! सारा देश शोक में डूब गया ! विपक्ष भी इस दर्दनाक घटना से अचम्भित था ! इन्द्रा जी को राष्ट्र की तरफ से श्रद्धांजली दी गयी ! देश विदेश के राष्ट्राध्यक्षों ने इस कायराना हरकत के लिए, अफसोश जताया और दिवगंत आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित की ! कुछ गुंडों को पुलिस ने जेल में बंद कर दिया लेकिन इनके रिंग लीडरों को पकड़ने में असमर्थ रही क्यों कि वे बेदी नाक वाले बड़ी शाख वाले पार्टी के नेता थे ! भारत के प्रथम प्रधान मंत्री की सुपुत्री, देश की तीसरी प्रधान मंत्री, भारतीय नारी समाज की एक उभरती हुई प्रतिभा, नेहरू गांधी खानदान का जलता हुआ चिराग अचानक अंतरिक्ष में विलीन हो गया ! ऐसे लगा जैसे एक आंधी आई, बहुत कुछ उड़ाकर ले गयी और उसके बाद का सन्नाटा ! ३१ दिसम्बर १९८४ को कोटद्वार पौड़ी गढ़वाल में मेरे बड़े मामा जी श्री प्रतापसिंह नेगी, निवर्तमान सांसद ८८ साल की उम्र में स्वर्वासी हुए ! यह खबर मुझे दिल्ली आने पर मालूम हुई !
यूनिट हाई अल्टी ट्यूड एरिया में यूनिट का जम जमाव हो चुका था ! सारी पहाड़ियां यहाँ तक यूनिट का बेस भी बर्फ से ढक चुका था ! ठंडी कंपकंपाने वाली सीट लहरें चलने लगी थी ! सारे चश्मे, नदियाँ जम गयी थी ! इलाका शांत, सडकों पर बाजारों में भीड़ कम हो गयी थी ! सेना के जवानों को तो अपना काम करना ही है चाहे, बर्फ पड़ रही है, या आंधी तूफ़ान चल रहा है ! उसे इलाके की रेकी करने को भी जाना है, उसे लाईन आफ कंट्रोल पर रात दिन चौकना हो कर ड्यूटी देनी होती है ! मैं यूनिट पंडित जोशी जी के साथ इन बर्फीली पहाड़ियों पर चढ़ता था और कुदरत की इस अद्भूत लीला का आनंद लेता था पंडित जी के साथ ! सेना की सेवा करते करते २७ साल हो गए थे और रिकार्ड्स से पेन्शन जाने की सूचना आगई थी ! मुझे ५० साल से पहले ही सेना से अवकास पर चले जाना था, बच्चे अभी पढ़ने वाले थे, सिविल में जम जमाव करने के लिए रिसेटलमेंट कोर्स करना जरूरी था ! दो महीने के कोर्स के लिए मैं दिल्ली आगया ! फरवरी १९८५ ई० में वापिस यूनिट जाना था, मोटर मार्ग उधमपुर से आगे बंद था इसलिए दिल्ली से चंडीगढ़ गया वहां से बाई एयर लेह उतरा और वहां से रंग बिरंगे पर्वत श्रेणियों, जलेबी नामक रोड से होते हुए मैं कारगिल यूनिट में पहुंचा ! मई के पहले सप्ताह में मैं छुट्टी लेकर फैजाबाद आया, बच्चों को दिल्ली शिफ्ट किया ! १५ मई को अपने भतीजा मुनेंद्र्सिंह की शादी कल्पना से की और वापिस कारगिल यूनिट में चला गया ! आज मुनेद्र के दो लडके हैं , अंकित और अंकुश !
१५ अगस्त को महामहिम राष्ट्रपति ने मुझे आनरेरी लेफ्टीनेंट रैंक से नवाजा और २६ जनवरी १९८६ को आनरेरी कैप्टेन बना ! कारगिल की पहाड़ियों को छोड़ कर श्रीनगर काश्मीर की सुन्दरता का भरपूर आनंद लेकर जम्मू आगया ! काश्मीर श्रीनगर में झीलें, निशात गार्डन, चिनार और देवदार के वृक्ष पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं ! मुग़ल बादशाह औरंगजेब ने इसी काश्मीर को कहा था कि "जमीन पे अगर कहीं जन्नत है तो यहीं है यहीं है" !
जम्मू के पास ही मेरी पुरानी यूनिट थ्री राज रिफ थी, इसलिए यूनिट में जाकर पुराने संगी साथियों के साथ दो दिन पुरानी यादों को ताजी करके दिल्ली चला गया और पहली नवम्बर १९८५ ई० को फ़ौज को आखरी सलूट करके पेंशन लेकर एक सिविलियन नागरिक बन गया !
Monday, August 9, 2010
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