Friday, August 20, 2010

मेरी कहानी (पच्चीसवां भाग)

यह इक्कीसवीं सदी मेरे प्यारे प्रदेश उत्तराँचल वनाम उत्तराखंड के लिये एक वरदान बन कर आया ! उस समय केंद्र में भा ज पा की सरकार थी ! और भा ज पा ने ही भारतीय संविधान के अन्दर तीन नए राज्य बना दिए, उत्तर प्रदेश से उत्तरांचल जो बाद में उत्तराखंड बन गया, मध्य प्रदेश से छतीस गढ़ और बिहार से झारखंड ! उत्तरांचल ९/११/२००० को भारत सरकार के प्रदेशों में एक नया प्रदेश जुड़ गया ! यह प्रदेश उत्तराखंडियों को आसानी से नहीं मिला, इसके लिए भी आन्दोलन का सहारा लेना पड़ा, रैली निकाली गयी, कुर्वानी देनी पडी ! भारत को आजाद करने के लिए विदेशी हकूमत अंग्रेजों से संघर्ष था लेकिन अलग प्रदेश के लिए तो अपनी ही सरकार अपनी ही पुलिस से संघर्ष करना पडा, कुर्वानी देनी पडी खून बहाना पड़ा तब कहीं जाकर उत्तराखंड एक अलग राज्य बन पाया ! अगर इतिहास पर जरा नजर डालें तो नए राज्य के लिए सबसे पहला आन्दोलन चलाया गया था सन १९५७ ई० में टेहरी गढ़वाल के भूतपूर्व नरेश मानबेंद्र शाह के नेतृत्त्व में ! फिर २७/०७/ १९७९ ई० को स्थानीय पार्टी उत्तराखंड क्रांती दल अस्तित्व में आया और उसके अध्यक्ष डॉक्टर डी डी पन्त की अध्यक्षता में उत्तराखंड के लिए संघर्ष शुरू हुआ ! फिर सन १९९१ ई० में भा ज पा सबसे बड़ी पार्टी बन कर आई और आन्दोलन को बल मिला ! कांग्रेस तब तक चुपचाप तमाशा देख रही थी ! असल में कांग्रेसी उत्तर प्रदेश से अलग राज्य की माँग कर ही नहीं रहे थे ! सन १९९४ ई० में विद्यार्थियों का आन्दोलन शुरू हुआ, १९/०८/१९९४ में नैनीताल के तमाम सरकारी कर्मचारियों ने "पेन डाउन स्ट्राइक " कर दी ! १/०९/१९९४ ई० को खटीमा में पुलिस ने आन्दोलन कारियों पर गोली बरसाई ! इस फाइरिंग में काफी मरे और काफी जख्मी हुए ! हल्द्वानी और खटीमा में कर्फ्यू लगाया गया था ! २/०९/१९९४ ई० को पुलिस ने मंसूरी में आन्दोलन कारियों के ऊपर गोली चलाई और ७ लोगों को मार गिराया ! महात्मा गांधी जन्म दिन पर ०२/१०/१९९४ को उत्तर प्रदेश पुलिस ने महिलाओं और उत्तराखंडियों के ऊपर मुज्जफर नगर में जुल्म ढाए, महिलाओं को बेइज्जत किया गया ! ये लोग रैली में भाग लेने के लिए दिल्ली जा रहे थे ! दिल्ली में भी कही जगह पर आन्दोलनकारियों के ऊपर पुलिस ने लाठी चार्ज किया कहीं कहीं गोलियां भी चलाई गयी ! कुछ लोग दिल्ली में भी मारे गए थे ! १९९१- ९६ में प्रधान मंत्री थे नरसिंघा राव ! काफी कुर्वानी के बाद तब कहीं जाकर ०५/०८/१९९६ ई० को उस समय के प्रधान मंत्री एच डी देवेगौडा ने "भारतीय संविधान में एक नया राज्य उत्तरांचल के नाम से बनाने की घोषणा की" ! १९९८ ई० में अटल बिहारी बाजपेयी सरकार ने नया राज्य बनाने के लिए ऑर्डिनेंस निकाला ! १७/०५/२००० को लालकृष्ण अडवानी गृह मंत्री ने बिल संसद में पेश किया ! संसद ने इसे पहली अगस्त २००० को सर्व सम्मति से पास किया गया, राज्य सभा ने इसे १०/०८/२००० को मंजूरी दे दी ! महामहीम राष्ट्रपति उत्तर प्रदेश/विधान/सभा में इस पर हस्ताक्षर करके मोहर लगा दी ! इस तरह हिमालय की सीमा में एक नया राज्य बना "उत्तरांचल वनाम उत्तराखंड" !
उत्तर प्रदेश विधान सभा में भारतीय जनता पार्टी के विधायकों की संख्या ज्यादा रही इसलिए, उत्तराँचल में पहली सरकार भा ज पा की बनी, मुख्य मंत्री बने नित्यानंद स्वामी जो २९/१०/२००२ तक कुर्सी पर रहे, उनके बाद भगत सिंह कोशियारी को मुख्य मंत्री बनाया गया वे ०१/०३/२००३ तक रहे ! उनके मुख्य मंत्री काल में चुनाव हुए और कांग्रेस सता में आ गयी ! नारायण दत्त तिवारी मुख्य मंत्री बने और ७ मार्च ०७ सात तक कुर्सी पर डटे रहे ! मार्च २००७ में बा ज पा फिर से सता में आई और भूत पूर्व मेजर जनरल भुवन चन्द्र खंडूरी मुख्य मंत्री बने ! वे २३ जून ०९ तक ही सता पर रह सके ! वे अनुशासित और एक सुलझे हुए शासक थे, वे खुद ईमानदार थे और अपने मंत्रियों को भी ईमानदार बने रहने सलाह देते थे ! कुछ भ्रष्टाचारी नेताओं को उनकी सलाह अच्छी नहीं लगी और उनके खिलाफ लामबंद हो गए ! ऐसी विषम प्रस्थिति में उन्होंने मुख्या मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया ! २४ जून २००९ से डा० रमेश पोखरियाल निशंक मुख्य मंत्री की कुर्सी पर आसीन हैं ! प्रदेश का प्रथम राज्यपाल थे सुरजीतसिंह बरनाला, और आज के राज्यपाल हैं मारग्रेट अलवा !

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