Monday, August 16, 2010

उड़न तश्तरी ....: मुद्दतों बाद….

उड़न तश्तरी ....: मुद्दतों बाद….
मैंने उन्हें सर झुका के नहीं सर उठाके देखा
चुनाव हार गए थे फिर भी मुस्कराते देखा,
पूछा आखिर राज क्या है भाई , इस मुस्कान का ,
हंसते हंसते ही कहा,
"चुनाव ही तो हारा हूँ, जिन्दगी तो नहीं,
वोट तो फिर भी मिल जाएंगे, यहाँ नहीं कहीं और सही !
इसलिए हंसता हूँ, मुस्कराता हूँ,
जो झूट बोलता हूँ, इस मुस्कान से उसे छिपाता हूँ,
जनता को इसी मुस्कान से फंसाता हूँ,"
कहते हुए, गरदन उठा के देखा,
आँखों में क्रूरता झलक रही थी,
उड़न तस्तरी को मुद्दतों बाद देखा !

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