Thursday, August 12, 2010

मेरी कहानी (बाईसवां भाग)

समय की गाडी बड़ी तेज गति से चल रही थी ! मेरी लड़की उर्वशी ने अब नेहरू प्लेस की एक एडवरटाईज्मेंट एजेंसी में जॉब करना शुरू कर दिया था ! ३ मार्च सन १९९० ई० को हमने उर्वशी की शादी श्री दयालसिंह नेगी जी के सुपुत्र राजेन्द्र सिंह नेगी के साथ कर दी ! यह परिवार बदलपुर पट्टी पौड़ी गढ़वाल का है ! हमारे समधी जी चार भाई हैं इनका एक बड़ा भाई सेना में सूबेदार थे और उन्होंने द्वितीत विश्व युद्ध में भाग लिया था ! श्री दयालसिंह जी भी सेना में थे लेकिन उन्होंने जल्दी ही डिस्चार्ज ले लिया था, केन्द्रीय सरकार ने उन्हें सर्विस में ले लिया था और इस समय पेंशन ले रहे थे सं १९९७ ई0 में वे बीमार हुए और ६७ साल की उम्र में स्वर्ग सिधार गए ! ये एक जिंदादिल इंसान थे, शरीर से भी और दिमाग से भी स्वस्थ और मजबूत थे ! हंसता हुआ चेहरा, दोस्तों के दोस्त, जिन्दगी को बोझ बनाकर नहीं, जिन्दगी को अपने तरीके से जीने वाले साफ़ दिल के इंसान थे ! उनके जाने से हमने एक सच्चा हम सफ़र खो दिया ! इनके पिता जी श्री कल्याणसिंह जी जंगलात विभाग में अधिकारी थे ! उन्होंने बदलपुर के जंगलों में पेड़ों की एक नयी किस्म की खोज की और पूरे इलाके में इस नए किस्म के पेड़ की पौध लगाई ! इसकी विशेषता यह है कि यह पेड़ सीधा ऊंचाई की तरफ बढ़ता है, घन्नी पतियों से आच्छादित इमारती लकड़ियों का खजाना है ! यह आक्सीजन की मात्रा भी ज्यादा देता है ! इस अनुसंधान के लिए सरकार ने उन्हें राय बहादूर के खिताब से अलंकृत किया और मचकाली कुमायूं में पारितोषिक तौर पर जमीन आवंटित की ! ३ दिसम्बर १९९० ई० को हमारा ध्योता करण का जन्म हुआ और मैं और मेरी पत्नी नाना नानी बने ! पहली फरवरी १९९२ को उर्वशी ने जॉब बदली किया और शाव वालेस कंपनी ज्वाइन की जो बाद में यू बी के नाम से जाने जानी लगी ! अब तो मेरी बेटी ने इन्द्रा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी से एम बी ए भी कर लिया है और मैनेजर की पोस्ट का इन्तजार कर रही है ! सन १९९२ ई० मार्च के महीने में राजेश को भी आई आई टी से डिग्री मिल गयी थी ! इस समारोह में मैं भी गया था ! राजेश ने एक साल के लिए इंडिया में ओ एन जी सी कंपनी ज्वाइन की और सितम्बर १९९३ ई० में अमेरिका की यूटाह स्टेट यूनिवर्सिटी में दाखिला ले लिया ! यहीं से उसने १९९८ ई० में केमिकल इंजीनियरिंग में पी एच डी की डिग्री हासिल की और वहीं यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर की पोस्ट पर रिसर्च करने लगा ! २४ अगस्त १९९३ ई० को नीतिका का जन्म हुआ ! साथ ही उर्वशी ने पटपड़गंज में अंकुर अपार्टमेन्ट में अपना मकान ले लिए ! दिसम्बर १९९४ ई० में भविष्य निधि संगठन ने दिल्ली रीजनल कार्यालय की दो ब्रांच और खोल दी एक पूर्वी दिल्ली लक्ष्मी नगर में और दूसरी डिस्टिक सेंटर जनकपुरी में ! मैंने अपनी पोस्टिंग यहीं जनकपुरी में करवा ली ! २६ जनवरी १९९५ ई० को पठानकोट में मेरी चाची कुंवारी देवी का स्वर्गवास हुआ, वे उस समय अपने जेष्ट पुत्र कैप्टेन मनोहरसिंह रावत के पास रह रही थीं ! ३१ जनवरी १९९६ ई० को मुझे भविष्य निधि कार्यालय से भी अवकास मिल गया ! कार्यालय के साथी मुझे घर तक छोड़ने आये थे ! सन १९९७/९८ को मैंने जीवन पार्क में एक नया डब्बल मंजिल मकान बनाया ! इस समय तक जीवन पार्क की कॉलोनियां पूरी तरह भर गयी थी ! ३ नवम्बर १९९८ ई० को मेरे निवास स्थान में मेरी माँ ने आखरी सांश ली और स्वर्ग सिधार गयी ! सन १९९६ ई० का संसद का चुनाव चौंकाने वाला सिद्ध हुआ ! किसी भी पार्टी को सपष्ट बहुमत नहीं मिला ! खिचडी सरकार का प्रधान मंत्री बने
एच डी देव गावडा ! ये सरकार भी ज्यादा दिन नहीं चली और १९९८ ई० को संसद के नए चुनाव हुए और भा ज पा सरकार बनाने में कामयाब रही ! श्री अटल बिहारी बाजपेयी प्रधानमंत्री बने ! इससे पहले भी १९९६ ई० में अटल जी १३ दिन के लिए प्रधान मंत्री बने थे ! सन १९९९ ई० में संसद में सरकार एक वोट से अल्पमत में हो गयी, और १३ महीने बाद ही दुबारा अटल जी को त्याग पत्र देना पड़ा ! लेकिन चुनाव में जीत फिर बा ज पा की ही हुई और अटल बिहारी बाजपेयी जी ने तीसरी बार प्रधान मंत्री के पद के लिए सपत ली ! इन्हीं दिनों पाकिस्तान के आतंक वादियों ने अपनी सेना के साथ कारगिल की चोटियों में हमारी सीमा के अन्दर अपने मोर्चे बनाकर वहां कब्जा जमा दिया ! कारगिल युद्ध हुआ, भारतीय सैनिकों ने काफी कुर्वानी दी लेकिन घूस-पैठियों को सीधे यम लोक पहुंचा दिया और पाकिस्तान को फिर हरा कर उसके मनसूबों पर पानी फिरा दिया ! पाकिस्तान में फिर से मिलिटरी ने सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया ! परवेज़ मुशर्रफ फ़ौजी राष्ट्रपति बने, उन्होंने ने ही ये कारगिल युद्ध करवाया तथा पाकिस्तानी सेना को भी इस युद्ध में शामिल किया ! विश्व के कही देशों ने पाकिस्तान के इस कुकृत्य के लिए उसकी निंदा की ! जीत भारत की ही हुई लेकिन सेना के कही रत्नों को खोने के बाद ! राज रिफ की दूसरी बटालियन ने इस युद्ध में काफी वीरता का काम किया और शहीदों ने 9 महावीर चक्र और कही वीर चक्र अपनी बटालियन व रेजिमेंट को दिए ! दो सिपाईयों को मरणोपरांत परमवीर चक्र दिए गए एक ग्रेनेडियर का योगेन्द्र सिंह यादव और दूसरा जे एंड के रेजिमेंट का था सिपाही संजय कुमार ! लेकिन बाद में पता चला की वे दोनों ज्यादा जख्मी थे और बाद में होश में आगये थे ! आज दोनों अपनी बटालियनों में जे सी ओज होंगे ! ले.मनोजकुमार, १/११ गोरखा राईफल्स, कैप्टेन विक्रम वत्रा १३ जे & के स्क्वेड्रन लीडर अजय आहूजा एयर फ़ोर्स तीनो को मरणोपरांत परमवीर चक्र से अलंकृत किया गया !

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