Wednesday, August 25, 2010

एक और यात्रा (न्यू योर्क से बोस्टन तक)







२१ अगस्त को अचानक कुछ और ऐतिहासिक स्थानों को देखने का प्रोग्राम बन गया ! बोस्टन (माच्यूसेट्स स्टेट ), न्यू हम्पशायर और वरमोंट की सुन्दर पहाड़ियों और घाटियों को देखने को मन ललचाया, तो फिर क्या था सामान तैयार किया और चल पड़े मंजिल की ओर ! अब के परिवार के सभी लोग जा रहे थे ! राजेश की ऑफिसियल मीटिंग भी थी न्यू हम्पशायर में, इस तरह "एक पंथ दो काज" वाली कहावत को चरितार्थ करने का अच्छा मौक़ा था ! दो पार्टी बनी एक रेल और बस द्वारा और दूसरी पार्टी सीधे कार द्वारा ! मैं और करण बस - रेल द्वारा जाने के लिए तैयार हो गए ! राजेश बच्चों के साथ कार से चल पड़ा ! यहाँ अमेरिका में कही बार आ चुका हूँ, कही जगह घूम भी चूका हूँ लेकिन केवल कार द्वारा ही सफ़र किया है ! यह पहला अवसर था अमेरिकन बस और ट्रेनों, मेट्रो में सफ़र करने का ! यहाँ अपने घर से कुछ ही दूरी पर पड़ता है फार्मिंगडेल रेलवे स्टेशन, हमने इस स्टेशन से ११ बजे वाली ट्रेन पकड़ी और बाथापेज, हिक्सविल्ल होते हुए जमैका पहुंचे ! यहाँ की ट्रेनों में कोई बड़ा छोटा नहीं है ! सब की सीटें एक जैसी हैं गद्दीदार और आराम दायक ! बाथ रोम साथ सुथरे और आधुनीक सुविधाओं से लैस ! भीड़ भी नहीं थी ! सरकारी कर्मचारी सतर्क और अपने कर्तव्यों के प्रति ईमानदार रहते हैं, ड्यूटी के समय तन - मन से ड्यूटी और छुट्टी का समय बिना किसी चिंता के मस्ती से छुट्टी का आनंद लेते हैं ! जमैका से हमने मैनहट्टन तक मेट्रो पकड़ी और एक बजे चायना टाउन न्यू योर्क सिटी पहुंचे ! यहाँ पर बोस्टन जाने के लिए लकी स्टार नामक एजेंसी की बस खडी थी, हमारे बैठते ही बस चल पडी ! रास्ते में जंगल पहाड़ियां, नदी नाले, लम्बे चौड़े घास के मैदान आते गए, और हम कुदरत के इन हसीन नजारों का अवलोकन करते हुए आगे बढ़ते रहे ! बस में आराम दायक सीटें थी ! अमर्जेंसी में बस के अन्दर ही बाथ रोम की व्यवस्था है ! ड्राइवर- क्लीनर अच्छे गाइड भी थे, हर सिटी और कस्बे के बारे में जानकारी देते रहते थे ! यात्रियों के साथ उनका व्यवहार मित्रता पूर्ण था ! साढे चार घंटे की यात्रा सहज और आराम दायक लगी ! पौने पांच बजे हम लोग बौस्टन बस स्टेंड पर पहुंचे ! राजेश हमारा इंतज़ार क्वींसी मार्केट पर कर रहा था ! वहां जाने के लिए हमें सुरक्षा गार्ड ने रेलवे स्टेशन से ट्रेन लेने की सलाह दी ! स्टेशन पर हमें ट्रेन के गार्ड से ही भेंट हो गयी ! गाडी तैयार खडी थी, उसने हमें उसमें बैठने के लिए कहा ! हम स्टेशन की तरफ टिकट लेने के लिए जाने लगे, उसने रोक दिया और कहा, "एक स्टेशन के लिए आपको टिकट लेने की जरूर नहीं है " ! हम बिना टिकट के ही बैठ गए, टिकेट चेक करने वाला आया, उसे गार्ड ने हमारे बारे में पहले ही बता दिया था, उसने हमसे कुछ नहीं पूछा और आगे चला गया ! उनके मित्रता पूर्ण व्यवहार से हमें अपना भारत याद आया ! क्या हमारे रेलवे कर्मचारी भी विदेशी यात्रियों से ऐसा ही मित्रता पूर्ण व्यवहार करते हैं ? एक प्रश्न पूछते हैं हम अपने आप से अपने चरित्र के बारे में ! हम क्वींसी मार्केट पहुंचे वहां पर राजेश का दोस्त पंकज अपनी पत्नी दीपा और दो बच्चियों रैना और रिया के साथ खडा था ! उसने हमें क्वींसी मार्केट और बोस्टन की जानकारी दी !
बोस्टन अमेरिका के इतिहास में एक विशेष स्थान रखता है ! स्वतंत्रता का पहला बिगुल यहीं से बजा था ! क्वींसी मार्केट के सामने वाली बिल्डिंग में ही पौल रेवियर के नेतृत्व में स्वतंत्रता सेनानियों की मीटिंग चला करती थी, यहीं पर ब्रिटिश आर्मी के खिलाफ मोर्चा बंधी की योजना बनती थी ! पौल रेवियर यहाँ की जनता में बहुत मशहूर है और लोग आज भी उसके कारनामें अपने बच्चों को सुनाते है ! एक घटना के मुताबिक़ अंगरेजी सेना अगले दिन पौल रेवियर और उसके साथियों के ऊपर अचानक हमला करने की योजना बना रहे थे, वहीं एक १०-१२ साल का लड़का अंग्रेजों के अस्तबल में काम करता था, उसके कानों में बात पड़ गयी ! वह लड़का रात को ही पौल रेवियर के पास आया और उसे अंग्रेजों के षडयंत्र की जानकारी दे दी ! सरदी का मौसम चारों ओर बर्फ ही बर्फ, पौल रेवियर ने बर्फ के ऊपर घोड़े में बैठ कर पूरी रात सारे साथियों को होशियार कर दिया, अपने हथियार और गोला बारूद को सुरक्षित जगह पर छिपा दिया ! अगले दिन सबेरे ही अंगरेजी सेना वहां पहुँची लेकिन यहाँ तो स्वतंत्रता सेनानियों की पूरी तैयारी थी ! ब्रिटिस सेना को मुंह की खानी पडी ! यहाँ पर देखने को बहुत कुछ है, विशाल समुद्र में बोट मोटर बोट की सैर, अक्वेरियम जहां हर तरह के जल जीव और बड़ी से बड़ी और छोटी से छोटी मच्छलियाँ यहाँ देखने को मिल जाती हैं ! गगन चूमती इमारतें, होटल, रेस्टोरेंट, रंग बिरंगे फूलों से लदे बाग़ बगीचे, लम्बे चौड़े पार्क, हरे भरे जंगल बच्चों के मनोरंजन के लिए हर प्रकार की सुविधाएं यहाँ मौजूद हैं ! शुक्रवार शाम से और इतवार के ६ बजे तक यहाँ मेला लगा रहता है, लगता है जैसे सारी दुनिया यहीं आकर इकट्ठा हो गयी है ! इन दिनों होटलों में कमरे भी नहीं मिलते पहले ही बुक हो जाते हैं ! रात को पंकज के पास रहे !
ह्वाईट माउन्टेन
अगले दिन यानी २२ अगस्त को हम सब लोग न्यू हम्पशायर ग्रीन लीफ इस्टेट्स पंकज के घर से उत्तर की ओर चल पड़े ! दो घंटे के बाद हम ह्वाईट माउन्टेन एरिया में थे ! यहीं से हम बस में बैठे और बस ने हमें दो मील पर जाकर उतार दिया ! उसके बाद एक पहाडी नाले के साथ साथ आगे बढे ! रास्ता सुविधाजनक था ! हमारे साथ चार बच्चे थे वेदान्त तीन साल का था वह भी हमारे साथ चल रहा था ! सबसे छोटी रिया थी जो अपनी मम्मी की गोदी में ही रही ! नाले के दोनों किनारों में सीधी चट्टाने थीं ! बाईं तरफ की चट्टान के साथ साथ लकड़ी का पुल बना था जो करीब आधा मील लंबा था और नाले के साथ साथ ऊपर उठता जा रहा था ! इस नाले पर दो झरने भी मिले करीब १५-२० फीट ऊंचाई से गिरने वाले, जो इस संकरी घाटी में कुदरत के करिश्मों का बयान कर रहे थे ! ऊंचे ऊंचे पेड़ों और विभिन प्रकार के पौधों से घिरा हुआ जंगल उठती हुई चट्टानें यही तो है व्हाईट माउन्टेन, धरती के ऊपर कुदरत का करिश्मा ! हम लोग हाईकिंग कर रहे थे और रास्ते में भालू की गुफा, भेडिये की गुफा को देखते हुए आगे बढ़ रहे थे ! इस पहाडी से दो नाले निकलते हैं जो कहीं कहीं ऊंचाई से गिरने पर प्रपात बनाते हैं और सैलानियों का ध्यान अपनी ओर खींचते हैं ! विशाल शिला खण्डों के ऊपर से गुजरता है विशाल जल राशि जो आगे चल कर नदीं में मिल कर एकाकार हो जाती है ! दूर बहुत दूर दिखाई देता है क्षतिज जहां ये पहाडी श्रृंखलाएं मिल जाती हैं नीले आकाश से ! आसमान बादलों से ढका था, कभी कभी हल्की हल्की बुँदे गिरने लगती थी ! एक सिरे से दूसरे सिरे तक का पहाडी सफ़र कभी चढ़ाई तो फिर उतराई पूरी करके हम वापिस घर की ओर चल पड़े, पंकज के घर !




एक लेख के अनुसार २५००० साल पहले (आईस एज) बर्फीले युग के बाद बर्फ के पिघलने से बनी है ये घाटियाँ, झीलें चश्मे ! विशाल शिला खंड भी बर्फ से कटे हैं ! १८०० ई० के बाद यहाँ सैलानी इन खूबसूरत वादियों और पर्वत श्रृंखलाओं को देखने के लिए आने लगे ! मूस यहाँ का एक बहुत बड़ा पापुलर जंगली जानवर है ! यह बारहसिंघे की नसल का है लेकिन उससे बड़ा और ताकतवर है ! हम तो नहीं देख पाए लेकिन कहते हैं शाम को सडकों पर आजाते हैं ! न्यू हम्पाशायर और कनिटिकट की नदी जो वरमोंट और हम्पशायर की सीमा है के आस पास के इलाके में भी मूस मिल जाते हैं ! २३ अगस्त को बच्चों को एक ऊंचे पर्वत के समतल स्थान पर ले गए, वहां म्यूजियम, रौलर कास्टर रेल और दूसरे और भी कही चींजे बच्चों दिखाई और उनका मनोरंजन किया ! २४ अगस्त को हम लोग वापिस अपने घर आगये !

2 comments:

  1. कुछ फ़ोटो भी लगाते तो और मजा आता...

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  2. बहुत बढ़िया...आपका भारत का नम्बर नोट कर लिया है. कुछ कार्यालीन व्यस्तता के चलते आपको ईमेल न कर पाया. क्षमाप्रार्थी.

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