Monday, August 2, 2010

अमेरिका में हनुमान मंदिर

अमेरिका में रहने वाले हिन्दुस्तानी अपनी परम्परा, संस्कृति और सभ्यता को जीवित रखे हुए हैं ! यहाँ हर प्रदेश में जहां जहाँ भी हिन्दुस्तानी हिन्दू अच्छी संख्या में हैं, मंदिर बनाते हैं ! ये यहाँ पर उंच नीच, छोटा बड़ा के झमेंलों में न पड़ते हुए संगठित होते हैं ! मंदिर समिति बनाते हैं ! अपनी आर्थिक स्थिति के मुताबिक़ मंदिर के नाम पर चंदा इकट्ठा किया जाता है ! यहाँ सभी वर्ग के लोग हैं, कोई डाक्टर इंजिनियर है तो कोई वकील है, तो कोई बड़ा व्यापारी है, कहने का मतलब जो भी यहाँ अमेरिका में आया है वह अपनी योग्यता की डिग्री लेकर ही आया है, इस तरह मंदिर के नाम पर चंदे की रकम इतनी हो जाती है की यहाँ मंदिर समिति जमीन लेकर आराम से मंदिर बना देती है ! दो तीन मंदिरों में जाने का मौका मुझे यहीं न्यू यार्क में मिला ! गणेश मंदिर, यह मंदिर साउथ इंडियनों के प्रयाशों का फल है ! काफी बड़ा मंदिर है, सभी देवी देवताओं की मूर्तियाँ इस मंदिर में हैं ! बाहर कार पार्किंग के लिए काफी जगह है ! कुछ लोग तो यहाँ आकर, रामायण और सत्य नारायण की कथा भी करवाते हैं ! एक मंदिर है "हनुमान मंदिर", यह मंदिर भी करीब ३०-३५ साल पुराना है ! कहते हैं यहाँ (हेमप् स्टेड सिटी में ) पहले स्कूल था, गुरुमां जो राजस्थान की रहने वाली हैं, ने यहाँ आकर यहाँ बसे हिन्दुस्तानी हिन्दुओं की सहायता से मंदिर कमेटी बनाई और इस स्कूल को खरीद लिया ! फिर स्कूल की जगह मंदिर ने ले ली ! काफी बड़ा मंदिर है, एक बड़ा हौल है जिसने हनुमान जी की एक बड़ी और एक मीडियम साईज की संगमरमर की मूर्ती है ! दूसरे हौल में गणेश जी, शिव पार्वती जी, दुर्गी माँ, काली की प्रतिमाएं हैं, इसी हौल में कृतिरिम पहाडी बनी है उस पहाडी के ऊपर शिव जी की प्रतिमा है और उनके सर से पानी की धारा ऊपर उठती हुई नीचे गिरती है ! फिर शिव लिंग स्थापित है, साथ में नंदी और छोटी छोटी मूर्तियाँ गणेश, कार्तिकेय और माँ पार्वती हैं ! इसी हौल में दक्षिण भाग में नौ गृह : बृहस्पति , बुध, शुक्र, शनि, मंगल, चन्द्र, राहू, केतु और उनके बीच में घूमते हुए सूर्य रथ के ऊपर विराजमान हैं ! बाहर कार पार्किंग है जिसमें मदिर में आने वाले दर्शनार्थी अपनी कार मंदिर परिसर में ही खडी कर सकें ! वैसे मंदिर रोड के किनारे ही है, लेकिन व्यवस्था इतनी अच्छी है की मंदिर में आने के बाद बच्चे सुरक्षित रहते हैं और ममी पापा आराम से पूजा अर्चना करते हैं बिना बच्चों की चिता किये ! हर शनिवार को कोई न कोई भक्त सारे मंदिर में आने वालों को खाना देता है ! राम नवमीं शिव रात्री, कृष्ण जन्माष्टमी, होली, दिवाली और दशहरा मंदिर में बड़े धूम धाम से मनाया जाता है ! नीचे बेसमेंट है जिसमें एक सभागार बनाया गया है, जिसमें मीटिंगे होती हैं, कभी कभी भारत से बड़े संगीतकार, प्रसिद्द तबला वादक, शहनाई के जादूगर इसी सभागार में आकर प्रोग्राम देते हैं और अमेरिकन भारतियों को कुछ देर ही सही हिन्दुस्तान की धरती के दर्शन करा देते हैं ! एक सजन जिन्हें यहाँ ३० साल हो चुके हैं, अच्छा बिजनिस है, बच्चे सारे सर्विस कर रहे हैं, "कहने लगे यहाँ आने वाला हर भक्त मंदिर सेवा के लिए तैयार रहता है और मंदिर लोगों को मिलाने का एक ज़रीया भी है" ! जब मैंने उन्हें पूछा की क्या वे यहाँ खुश हैं ? बड़े मायूस होकर कहने लगे, "रावत जी, क्या बताऊँ, की मैं यहाँ कितना खुश हूँ, वहां भारत में माँ अकेली है, यहाँ सास बहु की बिलकुल नहीं बनती, वे इस समय ८१ साल की हो चुकी हैं, उनकी सेवा करना चाहता हूँ, कर नहीं सकता ! बच्चे न गुजराती बोलते हैं न हिन्दी बोलते हैं, आगे की पीढी ने तो अपनी परम्पराएं और सभ्यता ही भूला दी है ! अब पछता रहा हूँ, क्यों आया मैं यहाँ, यहाँ पैसा है, रुतवा है, मकान है लेकिन मन की शांती नहीं है ! जो अपनी जन्म भूमि में है वह सब यहाँ नहीं है ! लोग जब तक सर्विस करते हैं उन्हें सोचने का अवसर नहीं मिलता, लोग सोचते हैं वे खुश हैं, लेकिन रिटायर होने के बाद, अकेलापन, फिर अपना देश याद आता है"! कल वहां रामायण का पाठ था, दो सज्जनों ने अपने बच्चों का जन्म दिन मंदिर में मनाया, हम भी (मैं और मेरी पत्नी) इसमें सामिल हुए, पूजा अर्चना हुई विधि विधान से, हनुमान जी की आरती हुई, प्रसाद वितरण हुआ, हमने प्रसाद लिया, खाना खाया और रात के ११ बजे के करीब अपने निवास स्थान पर पहुंचे ! यहाँ म्येलविल में एक परिवार जिला प्रतापगढ़ यूं पी का रहता है ! इनका नाम है अध्यप्रशाद सिंह ! ये यहाँ अमेरिका में पिछले ४०-४५ सालों से हैं ! इनके तीन लड़कें हैं, बड़ा अशोक, दूसरा विजय और तीसरा अजय ! अध्य प्रशाद सिंह अजय-गीता के साथ ही रहते हैं ! विजय क्वींस में रहते हैं, इनका घर हनुमान मंदिर के नजदीक ही है ! विजय स्वयं मंदिर कमेटी के सदस्य हैं और इनका परिवार इनकी पत्नी, एक पुत्र और एक लड़की इस मंदिर के हर कार्य कर्मों में सहयोग देते हैं ! आज इनकी लड़की का जन्म दिन था और आज के भजन-कीर्तन, रामायण पठन-पाठन में अध्य प्रशाद्सिंह जी के परिवार का ही सबसे बड़ा योगदान था ! अजय अपनी कार में मुझे और मेरी पत्नी को मंदिर ले गए थे तथा घर भी इन्होने ही पहुंचाया ! अजय एक मिलनसार हंसमुख और हर किसी की मदद करने वाला तीन बच्चों का बाप है ! गीता इनकी पत्नी सहारनपुर की रहने वाली है ! अमेरिका में हिन्दुस्तान की सभ्यता और परम्पराओं को जीवित रखने वाला परिवार है यह !

2 comments:

  1. अच्छा लगा जानकर. अमरीका के कौन से शहर का बता रहे हैं आप?

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  2. मेरी एक रिश्तेदार जो जब अमरीका में पढ़ायी कर रही थी,तो हमारे देश से मन्दिर में रखने के लिये भगवान के चित्र ले गयी थी ।

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