Thursday, July 8, 2010

मौसम की चाल

ये मौसम की चाल,
एक अंतराल,
सुबह शाम
हाथों में जाम,
मौसम भी नशे में है,
कभी ठंडी हवाओं का रुख,
मिलता सुख,
हवा में लू, अब बता तू,
मन वेचैन
उलझा रस्से में है !
बादलों का शोर,
गगन चारों ओर,
उमड़ घुमड़ का अट्टहास,
बरसेंगे बादल,
है विश्वास,
पता चला बादल भी नशे में है !

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