यहाँ न्यू यार्क में नए घर पीछे अच्छा ख़ासा लान है तथा कुछ जगह ऐसे भी है जिसमें छोटे छोटे पौधे, फूल कुछ बेल लगाई जा सकती हैं ! वैसे भी स्प्रिंग बंद रहने से लान की घास काफी सुख गयी थी ! हमने फिर से स्प्रिंग लगा कर इस लान को पहले जैसा हरा भरा करने का अभियान शुरू कर दिया है ! साथ ही टमाटर, ककडी की बेलें, शिमला मिर्च, बैंगन, लौकी की बेल लगा दी हैं ! समय पर इन्हें पानी दिया जा रहा है ! टमाटर लग चुके हैं, शिमला मिर्च ने भी फल देने में देर नहीं लगाई ! लौकी भी जमीन से बाहर आकर पानी और हवा का मजा लेते हुए धीरे धीरे मुस्कान भरते हुए लंबा होने की कसरत करने लगी है ! बैंगन महाशय अपने अगल बगल में देखते हुए, ऊंचाइयां नापने की हसरत पूरी करने में लगे हैं ! फूल भी मौसम की दुहाई देते हुए अपने कद का जायजा ले रहे हैं ! मेरे फलते फूलते बगीचे पर एक नन्ने से खरगोश की नजर लग गयी है ! अभी तक उसने कुछ भी शरारत नहीं की है पर आता रोज है कुछ देर बगीचे के सामने खडा होता ही फिर आगे बढ़ जाता है ! मैं उसकी हर हरकत पर नजरें गडाए रहता हूँ ! जब भी वह बगीचे के सामने खडा होकर बगीचे की तरफ देखने लगता है, मुझे लगता है की वह लाल लाल टमाटर, हरी हरी मिर्च और ककडी के सफ़ेद फूलों को देख कर ललचा रहा है और कोई गहरी साजिस रच रहा है ! उसका रोज बदलता हुआ मिजाज मुझे बेचैन किये रहता है ! है बड़ा प्यारा और रोज देखने की इच्छा भी होती है पर साथ ही उसके इरादों से चौकना हो जाता हूँ ! सोचता हूँ इससे दोस्ती बढ़ा लूं इस तरह यह दोस्त के बगीचे पर बुरी नजर नहीं डालेगा ! मेरा बेचैन मन भी शांत हो जाएगा ! पर उससे दोस्ती का हाथ कैसे बढ़ाऊँ जैसे मेरा बढ़ा हाथ देखता है दूम दबाकर भाग खडा हो जाता है !
अभी तो ईश्वर की कृपा से बगीचा सुरक्षित है ! एक दिन तो भाग गया, लेकिन अगले ही दिन दो साथियों को लेकर एक झाडी से मेरे बगीचे की तरफ इशारा कर रहा था, गुस्सा तो मुझे बहुत आ रहा था की ये मेरे बगीचे पर नजर क्यों लगा रहा है, औरों के भी तो बगीचे हैं मेरे से बड़े भी हैं, उन में बहुत सारी पौध लगी हैं, फिर ये उधर नजर क्यों नहीं फेरते ! पास पड़ोस में पूछने से पता लगा की इन खरगोशों के अलग अलग कबीले हैं और इनके इलाके बंटे हुए हैं, मेरा बागीच इस खरगोश वाले इलाके में पड़ता है और इसकी देखभाल करने की जिम्मेवारी इसी की है ! देख रहा हूँ कैसी देख भाल करता है यह खरगोश और इसका कबीला !!
Wednesday, July 14, 2010
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